दीपावली को प्रति वर्ष मनाया जाता हैं और जिसे दीपों का त्योहार भी कहा जाता हैं हम जानेंगे कि दीपावली को मनाने का ऐतिहासिक कारण क्या हैं और किस दिन इस साल दीपों का त्योहार होने वाला हैं तो आप सब शुरू से लास्ट तक इस छोटे से आर्टिकल को पढ़ें दीपावली 2024 में 1 नवंबर को मनाई जाएगी। दीपावली, जिसे दिवाली भी कहा जाता है, हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्यौहार है जो अंधकार पर प्रकाश की विजय, अज्ञान पर ज्ञान की विजय और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
यह पाँच दिनों का त्यौहार होता है, जिसमें धनतेरस से लेकर भाई दूज तक मनाए जाने वाले अलग-अलग दिन शामिल होते हैं।दीपावली के दिन लोग अपने घरों को दीपों, मोमबत्तियों और रंगोली से सजाते हैं, पूजा-अर्चना करते हैं, मिठाइयाँ बाँटते हैं और पटाखे जलाते हैं। इस दिन माँ लक्ष्मी, भगवान गणेश और अन्य देवी-देवताओं की पूजा की जाती है ताकि घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली बनी रहे।सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
भारत त्योहारों की भूमि है, और यहां का सबसे महत्वपूर्ण और विशाल पर्व दीपावली है। दीपावली या दिवाली एक ऐसा त्यौहार है जो पूरे भारत में विशेष धूमधाम और उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत, अंधकार पर प्रकाश की विजय और अज्ञान पर ज्ञान की प्राप्ति का प्रतीक है। दीपावली का यह पर्व हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है, जो अक्टूबर या नवंबर के महीने में आता है। इस पर्व के दौरान लोग अपने घरों को दीपों से सजाते हैं, भगवान लक्ष्मी और गणेश की पूजा करते हैं, और मिठाइयां बांटते हैं।
दीपावली का इतिहास कैसे शुरू होता हैं?
दीपावली का इतिहास हजारों वर्षों पुराना है, और इसकी उत्पत्ति के बारे में विभिन्न कथाएं और मान्यताएं प्रचलित हैं। सबसे प्रसिद्ध कथा के अनुसार, यह त्यौहार भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। कहा जाता है कि जब भगवान राम, माता सीता और भाई लक्ष्मण 14 वर्ष के वनवास और रावण के वध के बाद अयोध्या लौटे, तो अयोध्या के लोगों ने उनके स्वागत में दीप जलाए। यह माना जाता है कि तभी से दीप जलाने की परंपरा दीपावली के रूप में आरंभ हुई।
इसके अतिरिक्त, दीपावली को माता लक्ष्मी के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार, कार्तिक अमावस्या के दिन ही माता लक्ष्मी का समुद्र मंथन से अवतरण हुआ था। इसके साथ ही, इसे भगवान विष्णु द्वारा नरकासुर नामक राक्षस का वध करने की विजय के प्रतीक के रूप में भी मनाया जाता है, जिसके कारण इसे बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में देखा जाता है।
दीपावली का त्योहार पांच दिनों तक क्यों मनाया जाता हैं?
दीपावली केवल एक दिन का त्यौहार नहीं है, बल्कि यह पांच दिनों तक मनाया जाता है। इन पांच दिनों में प्रत्येक का विशेष महत्व होता है:
1. धनतेरस: दीपावली का पहला दिन धनतेरस होता है, जिसे धन त्रयोदशी भी कहते हैं। इस दिन लोग नए बर्तन, सोने-चांदी के आभूषण खरीदते हैं, जो समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। साथ ही इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है जो स्वास्थ्य और आयु की कामना के लिए किए जाते हैं।
2. नरक चतुर्दशी (छोटी दीपावली): दूसरे दिन नरक चतुर्दशी या छोटी दीपावली मनाई जाती है। यह दिन नरकासुर राक्षस के वध की याद में मनाया जाता है। इस दिन लोग घर की साफ-सफाई करते हैं और रात्रि में दीये जलाकर अंधकार को दूर करते हैं।
3. दीवाली: यह मुख्य दिन होता है जब लोग अपने घरों में दीप जलाते हैं और लक्ष्मी-गणेश पूजा करते हैं। यह दिन समृद्धि और ज्ञान का प्रतीक होता है। रात्रि में हर घर दीयों और रंग-बिरंगे प्रकाशों से जगमगाता है।
4. गोवर्धन पूजा: चौथे दिन गोवर्धन पूजा का आयोजन किया जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाकर गोकुलवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाने का स्मरण किया जाता है। लोग गायों की पूजा करते हैं और भगवान कृष्ण को प्रसन्न करते हैं।
5. भाई दूज: पांचवें दिन भाई दूज मनाया जाता है, जो भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी आयु और समृद्धि के लिए पूजा करती हैं और भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं।
दीपावली की तैयारी और पूजा अर्चना कैसे करते हैं भारत वर्ष के लोग/
दीवाली का त्यौहार केवल एक दिन का उत्सव नहीं होता, इसकी तैयारियां कई दिनों पहले से शुरू हो जाती हैं। लोग अपने घरों की सफाई करते हैं, पेंट करवाते हैं, नए वस्त्र और गहने खरीदते हैं, और घर को सजाने के लिए तरह-तरह के सजावटी सामान खरीदते हैं। घर की सफाई को माता लक्ष्मी के स्वागत का प्रतीक माना जाता है। लोगों का मानना है कि साफ-सुथरे घर में ही लक्ष्मी का वास होता है। इसके अलावा, बाजारों में भी दीपावली के दौरान रौनक बढ़ जाती है, दुकानों में रंग-बिरंगे दीये, झालरें, पटाखे और सजावटी सामान दिखने लगते हैं।
दीवाली के दिन विशेष रूप से माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। माता लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी माना जाता है, जबकि भगवान गणेश को बुद्धि और मंगलकारी देवता के रूप में पूजा जाता है। इस दिन पूजा के दौरान घर के सभी सदस्य मिलकर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की आरती करते हैं, भोग लगाते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। कहा जाता है कि इस दिन की पूजा से घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है।
दीपावली सामाजिक और संस्कृतिक महत्व का भी प्रतीक हैं
दीवाली का महत्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक भी है। यह त्यौहार समाज में एकता और सौहार्द का संदेश देता है। लोग एक-दूसरे को मिठाइयाँ बांटते हैं, खुशियाँ मनाते हैं और अपने रिश्तों में मधुरता बढ़ाते हैं। यह त्यौहार अमीर-गरीब, ऊँच-नीच, जाति-धर्म के भेदभाव को भुलाकर सभी को एकजुट करता है। दीपावली का पर्व सभी लोगों को एक साथ आने का अवसर देता है और समाज में भाईचारे का संदेश फैलाता है।
दीपावली त्योहार पर कैसे होती हैं पर्यावरण को नुकसान ?
हालांकि दीपावली का त्यौहार हर्षोल्लास का प्रतीक है, परंतु इस दिन पटाखों के अधिक प्रयोग से पर्यावरण पर बुरा असर पड़ता है। पटाखों के कारण वायु और ध्वनि प्रदूषण में वृद्धि होती है, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों और पशुओं पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए, अब लोग पटाखों की बजाय दीयों और सजावटी लाइट्स से घर को रोशन करने का विकल्प चुन रहे हैं। यह पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी का एक संकेत है और इस दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
आधुनिक काल में दीपावली त्योहार का स्वरूप कैसे बदल रहा है ?
वर्तमान समय में दीवाली का स्वरूप भी बदल रहा है। आजकल लोग डिजिटल माध्यमों से बधाई संदेश भेजते हैं और सोशल मीडिया पर शुभकामनाएं साझा करते हैं। ग्रीन दीवाली मनाने का संदेश भी लोगों में फैलाया जा रहा है, जिससे पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिल सके। इसके साथ ही, कई संस्थाएं इस दिन को गरीबों और जरूरतमंदों के साथ मनाने का अभियान चला रही हैं, ताकि दीपावली का प्रकाश उनके जीवन में भी आए।दीपावली एक ऐसा पर्व है जो हमें प्रकाश, प्रेम, और एकता का संदेश देता है।
यह त्यौहार न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि हमारे समाज में भाईचारे, प्रेम और सौहार्द का प्रतीक भी है। दीपावली हमें यह सीख देती है कि हमें अपने जीवन से अंधकार को दूर कर अच्छाई और ज्ञान के मार्ग पर चलना चाहिए।
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