बिनीता घोष ने बताई इसकी पूरी जानकारी। भारत के 18000लोग इस्राइल में फंसी रांची की बेटी बिनीता घोष माता-पिता सलामती के लिए मांग रहे दुआ स्टेम सेल पर रिसर्च कर रही बिनीता घोष रांची के रहने वाले थे।रांची की बेटी विनीता घोष का जीवन दहशत के बीच गुजर रहा है. मिसाइल के धमाके से दिल दहल रहा है. यह स्थिति इस्राइल और हमास के बीच चल रहे युद्ध के कारण बनी है. आर्यपुरी (रातू रोड) की बिनीता ने अपने जो अनुभव साझा किये हैं, वह दिल दहलाने वाला है. विनीता तेल अवीव यूनिवर्सिटी (इस्राइल) में पीएचडी कर रही है. इधर, घर पर माता-पिता अपनी इकलौती संतान की सलामती की दुआ मांग रहे हैं.
विनीता से युद्ध के बारे में पूछा गया तो उसने सात अक्तूबर को युद्ध की परिस्थिति बताई। बिनीता से और जानकारी पूछा गया तो उसने कुछ विस्तार से बताई। हॉस्टल बिल्डिंग के नीचे राशन दुकान पहुंची ही थी कि दोपहर 12 बजे दोबारा सायरन बजा में तेजी से भागी और खुद को बिल्डिंग की सीढ़ी में छिपा लिया. अगले कुछ घंटे तक प्रार्थना करती रही. विनीता ने बताया कि
विवि परिसर में 10 भवन हॉस्टल के हैं. इसके एक तल में एक विशाल कमरा और सीढ़ी का कॉरिडोर स्टील के चादर से बना है, इसे ही बंकर के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. विनीता का कमरा हॉस्टल के सातवें तल्ले पर है, जहां से बंकर तक पहुंचने में समर्थ नहीं था। परिजनों से बातचीत भी नहीं कर सकते.
भारत के बिनीता घोष डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रही थी ।
एमएससी जूलॉजी करने के बाद बिनीता ने रिसर्च का रास्ता चुना. भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर में शोध से जुड़ी प्रवेश परीक्षा से तेल अवीव यूनिवर्सिटी के फैकल्टी ऑफ लाइफ साइंस से शोध से जुड़ने का अवसर मिला. फरवरी 2022 से बिनीता डेवलपमेंट ऑफ बायोलॉजी इन स्टेम सेल्स विषय पर शोध कर रही है. बिनीता 2017 में डीडी कोसाबी यंग साइंटिस्ट अवार्ड हासिल कर चुकी है. इसके अलावा 2019 में होमी भाभा सेंटर फॉर साइंस एजुकेशन और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च की ओर से वेरोनिका रोडरिंगस अवार्ड फॉर प्रिजर्वेशन का सम्मान भी हासिल कर चुकी है. बिनीता के पिता विश्वजीत घोष इस्कॉन के प्रचारक है और मा रूपा घोष गृहिणी हैं.
भारत के बिनीता घोष के माता पिता सुरक्षा की दुवा कर रहे थे।
पूरे हालात के बारे में विस्तार से बताया, हुई रूबरू विनीता ने बताया कि बीते सभी बँकर की और भागे बँकर में बंद डाउनलोड कराया गया. यह खास ऐप भारतीय मूल के 18 हजार लोग फंसे हैं बिनीता कहती हैं, हवाई हमले का कोई कुछ माह से ही परिस्थितियां बिगड़ चुकी होकर पहली बार युद्ध की परिस्थिति से मिसाइल हमले की सूचना और सायरन इस्राइल में मंगलवार शाम को बिनीता ने निश्चित समय नहीं है. जान बचाने के लिए थीं. कॉलेज में इस पर चर्चा करने की रूबरू हुई मिसाइल के धमाकों की गूंज मोबाइल में भी देती है. इसके बाद से प्रत्येक
भारतीय दूतावास से संपर्क कर घर वापसी सिर्फ 01:30 मिनट का समय मिलता है. मनाही थी. सरकार ने चेतावनी दी थी कि सबके कानों तक पहुंच रही थी. इस दिन दिन किसी एक वक्त बंकर में जाने का की गुहार लगायी. इस बीच उन्हें जानकारी दी इसमें ही अगले 72 घंटे का जुगाड़ लेकर सायरन बजते ही सभी बंकर में खुद को विवि की हॉस्टल सुप्रीटेंडेंट ने अगले संकेत मिलता ही है. मंगलवार (10 गयी कि इस्राइल में भारतीय मूल के 18000- लोग फसे है इस्राइलइस में इनमें 7000 विद्यार्थी भी हैं बिनीता ने मंगलवार को दूतावास से संपर्क कर वापसी की गुहार लगाई ।सचिन तेंडुलकर लाइफ एंड क्रिकेट जर्नी क्या हैं? 20230: एंड फ्यूचर/
समय के साथ यह युद्ध काफी आक्रामक होता गया और इसराइल के काफी लोग जख्मी हुए और कोई की मौत भी हो गई हैं आया युद्ध थामने का नाम ही नही ले रहा था। Aajtak.com