विश्व आदिवासी दिवस 2023 में जगह जगह से जुलूस निकाला गया और हमारे आदिवासी बीर सैनिक का बैनर लेकर नारे चलाया गया जो की हमारे आदि वासी समाज को आदि काल से ही सोसित करते आ रहे है । जगह जमीन छीना जा रहे और की सरकारी कार्य में भी पूरा आरछन नही दिया जा रहा है । कुछ प्रसेंट ही जगह दिया जा रहा है । हमारे बीर सैनिक जो की जिस कल में महा युद्ध हुवा था उस समय हमारे वीर सैनिक देश के लिए अपने जान कुर्बान कर दिया था। जो की शाहिद होने वालो में हमारे आदिवासी समाज के भी काफी सारे जवान थे जो अपने जान बलिदान कर दिया। हमारे आदिवासी समाज का जो सांकृति है वह धीरे धीरे लुप्त होते जा रहे है जो की आने वाला कल में पूरी तरह से खत्म हो जाएगा इस चीजको बचाने के लिए आदिवासी समाज में हर साल पूरे विश्व में आदिवासी दिवस मनाया जाता है दिसंबर 1992 में, UNGA ने 1993 को विश्व के स्वदेशी लोगों का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष बनाने का संकल्प अपनाया. 23 दिसंबर 1994 को, UNGA ने अपने प्रस्ताव 49/214 में निर्णय लिया कि विश्व के आदिवासी लोगों का अंतर्राष्ट्रीय दशक के दौरान हर साल 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाएगा.
9 अगस्त को ही आदिवासी दिवस क्यू मनाया जाता है।
संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 9 अगस्त 1982 को आदिवासियों के हित में एक विशेष बैठक आयोजित की गई थी। तब से जागरूकता बढ़ाने और दुनिया की स्वदेशी आबादी के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रत्येक वर्ष 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस World Tribal Day मनाया जाता है। आदिवासी समाज का संकृति और शहरी समाज का सांस्कृतिक में बहोट अंतर देखने को मिला है आदिवासी समाज में जीविका के लिए जंगलों में आश्रित रहते है इसका हर जरूरत समान जंगलों से जुटते है और शहरो में ऐसा नहीं होता है शहर के समाज में हर जरूरत समान को पैसे से खरीदना पड़ता है ।
आदिवासी कितने साल पुराना है?
वैदिक लोगों की सभ्यताओं का इतिहास मात्र 3600 साल पुराना है। इन 10000 सालों के दरमियान भारत मे विभिन्न सभ्यताओं का विकास हुआ। लेकिन भाषाओं के आधार पर अगर हम शोध करें तो भारत मे द्रविडियन और आस्ट्रीक भाषा बोलने वाले समुदायों का इतिहास लगभग 50-70 हज़ार वर्ष पुराना है।